Thursday, July 8, 2010

सुकूं कहां है ःःःःःःः

पैगम्बराने अमन कहां जाके सो गए
सारे जहां को आज सुकूं की तलाश है।।


यह लाइनें देश के ताजा हालात पर सटीक बैठती हैं। सुकून की ही आज देश को सबसे ज्यादा जरूरत है। सुकून, लेकिन है कहां? क्या जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर में सुकून है जहां शांति बहाली के लिए सेना पहरेदारी कर रही है? या पूर्वी भारत में सुकून है जहां नक्सलियों ने पुलिस चैकी उड़ा दी, थाने फूंक दिए, पटरियां काट दीं। ट्ेन संचालन ठप कर दिया और सरकार को बेबस कर दिया। देश के हर घर में क्या सुकून है जो बढ़ती महंगाई झेलने को मजबूर है। पहले तो दो-पांच रूपये ही बढ़ते थे मगर अब तो घरेलू गैस पर सीधे 35 रूपये ही बढ़ा दिए। क्या देश की राजनीति में सुकून है। जो महंगाई के मुद्दे पर जनता के लिए लड़ रहे हैं और प्रदर्शन व सड़क जाम कर उन्हें ही छल रहे हैं। क्या विपक्ष को सुकून है जो केंद्र को घेरने में जुटा है? क्या केंद्र सरकार को सुकून है जो महंगाई के लिए राज्य सरकारों पर आरोप मढ़ रही है? क्या राज्य सरकारों को सुकून है जो केंद्र पर त्योरियां चढ़ा रहे हैं? क्या महेन्द्र सिंह धौनी को सुकून है जो शादी के नाम पर मीडिया को नचा रहे हैं? क्या मीडिया को सुकून है जो धौनी के घर के बाहर फालतू रिपोर्टिंग कर पका रही है? क्या राहुल को सुकून है जो दलितों के घर खा रहे हैं? क्या मायावती को सुकून है जो घबरा रही हैं? क्या गडकरी को सुकून है जो भाजपा की शाखा लगा रहे हैं? क्या आडवाणी को सुकून है जो सुकून नहीं पा रहे हैं? भई आखिर सुकून है कहां?

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