हे परमपिता, आपके ही निर्देश पर ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की। वनस्पति, जलवायु, जीव-जन्तु, पक्षी और हम मनुष्यों को अवतरित किया। आपही के द्वारा रचित संसार में जीवन चक्र सतत गति से चल रहा था। अचानक इसका संतुलन बिगड़ गया। आप नाराज तो नहीं हो गए? सब ग्लोबल वार्मिंग, ग्लोबल वार्मिंग चिल्लाने लगे। अब मिनी आइस एज, मिनी आइस एज कर रहे हैं। वसंत आ गया है। लोगों को पता ही नहीं चला। ठिठुरन इतनी जो थी। मैंने अनोखा वसंत मनाया। अपनी रजाई में पीला खोल चढ़ा लिया।
हे परमपिता परमेश्वर, आपने हम भक्तों को अपनी सबसे अच्छी कृति सोचकर इस धरती पर भेजा और जब उपर से देखा तो आप नाराज हो गए। नीचे हर कोई ब्रह्मा बनना चाहता है। आपने ही हम मनुष्यों को अलग-अलग दिमाग दे दिए। अब आप ही क्रोधित हो रहे हैं। हे परमपिता, सुना है आप सबको एक ही नजर से देखते हैं फिर इस बार भेदभाव क्यों? खास आदमी साधन संपन्न हो रहा है और आम आदमी नंगा हो रहा है। क्या आप भी आम आदमी से रूठे हुए हैं। ये मत सोचिए कि वे आपको पूजते नहीं। हां, वे देशी घी और मेवे को भोग चढ़ाते नहीं। यदि ये ऐसा कर सकते तो आम क्यों होते? खास न होते। अब इनका दर्द आप नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा? प्रभु, ठंड तो ठीक थी, अब ये गलन क्यों मचा रखी है? बूढ़ों के जोड़ खुल गए। बच्चों के होंठ सिल गए। महिलाओं की पीठ धर गई और जो बचे वो मौसम में निपट गए। गेहूं की फसल पक गई। आलू को पाला मार रहा है। ठंड प्रचंड होती जा रही है।
प्रभु देखिए, स्टेशन, बस अड्डों और मंदिर-मस्जिदों के बाहर लोग ठिठुर रहे हैं। आपके खास आदमी कंबल तक नहीं बंटवा रहे हैं और जो आपकी दया से मिल भी रहे हैं, उनमें कमीशन सेट हो रहे हैं। आम आदमी कहते हैं वो गरमाते नहीं हैं। हे परमपिता, आपने इस बार विचित्र सर्दी भेजी है जो रिकार्ड बना रही है। कई सूखे पत्ते ’लोग’ टपक चुके हैं और कई टपकने की तैयारी में हैं।
हे परमेश्वर, आम आदमी के घर की महिलाएं आपको कोस रही हैं। सब्जी, रोटी तक तो ठीक था, बच्चों के मुंह से दूध तक छीन लिया। कैसी सरकार दी आपने, काहे की सरकार दी आपने। आपके तथाकथित भक्तों ने मिलों में चीनी डंप कर ली। आपके ही शरद पवार जैसे साधकों ने चुनावों के समय सरकारी जमा चीनी बंटवा दी। अब मांग अधिक है और पूर्ति है नहीं। चीनी आयात कोई कर नहीं रहा। अब तो चीनी का बुरादा भी चीनी के दामों में बिक रहा है। भगवन, आप नाराज हैं कि गरीब साधक भोग नहीं लगाते। पहले तो माताओं ने बच्चों को फीका दूध पिलाना सिखाया। अब उन्हें पीने को दूध ही नहीं मिल रहा। आप ही बताएं, आपको भोग कैसे लगाएं? भगवन यही कारण तो नहीं जो आप नाराज हैं और यदि यही कारण है तो आप कैलाश की चोटी से नीचे उतर आइए क्योंकि इस मौसम का असर आप पर भी पड़ सकता है। प्रभु हम तो गरीब हैं, मर जाएंगे। करोड़ों, अरबों भक्तों की आपमें आस्था है। आप ऐसा कीजिए, इस सर्दी एयरकंडीशन और रूमहीटर वाले भक्तों के यहां भ्रमण कर आएं। कहीं गरीब की कुटिया में आपको भी नजला न हो जाए।
आपका सेवक
-ज्ञानेन्द्र
bahut sunder,lekin itna padne ke baad thaka hua mahsus kyu kar raha hu...ha..ha..ha
ReplyDeletepesh hai thakan utaru sher
mutmaen hain zara ameerogareeb
har ek problem middle class ki hai
adbhutaas... achi chitthi hai...
ReplyDeletekabhi time mile to humare blog par bhi aaiye...
rajai par pili khol chadakar vasant manaya wali line gajab thi. achchha likha he!
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