Wednesday, September 1, 2010

मीठी बात......

वो शाम को शमा जलाकर बैठे थे
हम अंधेरे में तनहा रहते थे
उनकी नजरों को था इंतजार हमारा
और हम उनसे आंख चुराए रहते थे।

ये सच नहीं कि हम उन्हें प्यार करते नहीं
उनके बिना जीने की सोच हम सकते नहीं
तड़प रहा है दिल मोहब्बत में दोनों का
वो वहां रोते नहीं और हम यहां रोते नहीं।

समंदर में लहरें आती हैं, मुड़ के चली जाती हैं
आंखों में आंसू ठहर क्यों जाते हैं
मिलन की चाहत में जल रही वो
बिन जल मछली जैसे तड़प रही वो
और यहां मैं भी बेकरार हूं
हमारे पास क्यों नहीं आती है वो।

1 comment:

  1. koi dil main kya chupaye hai
    vo kon hai jo dil ko ...

    kedar nath (kd) hathras

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