मैंने देखा सैनिक तैनात पहाड़ों पर
चट्टानों से बातें करता
दोस्त बन चुकी थी हवा
और दुश्मन मौसम उसका
लड़ता था वो मानो स्वयं से
बंदूक तो बस दिखावा था।
मैंने देखा सैनिक तैनात मैदानों पर
साहब की चौकीदारी करता था
खाना लाना, बच्चों को घुमाना
खातिर मैडम की भी करता था
थी सच्ची भक्ति उसमें सेवा की
फिर भी नौकर लगता था।
मैंने देखा सैनिक तैनात बंकर में
धूल फांका करता था
छावनी हो या बॉर्डर हो
आगंतुक हो या दुश्मन हो
इंतजार करता रहता था।
मैंने देखा वो भी सैनिक
जो ट््रेन में छेड़खानी करता था
अभद्र, अश्लील हरकत उसकी
मारपीट तक देखो करता था
विरोध किया गर तुमने तो
फेंकने से भी नहीं हिचकता था
मैंने देखा ऐसा सैनिक
जो रात सिसकियां भरता था
बीवी, बच्चे घर से दूर
तनहाई में फोटो देखा करता था
कमजोर दिल उसका भी
भीग जाती थी आंख उसकी भी
जब वो दिल से मां कहता था।
मैने देखा लड़ता सैनिक
जो जांबाजी से भिड़ता था
चित कर दे हौसले दुश्मन के
जब वो युदृध करता था
आर-पार का मूड बनाकर
दुश्मन पर टूट पड़ता था।
मैंने देखा वो भी सैनिक
जो शहीद कहलाता था
टपकता था पानी छत से और आंसू आंख से
ये उसके घर का मंजर था
कुछ नहीं बचा सब खो गया
किसी का लाल किसी का बेटा सो गया
किसी का लाल किसी का बेटा सो गया
किसी का लाल किसी का बेटा सो गया।।
इस सुंदर पोस्ट के लिए साधुवाद
ReplyDeletemaarmik kuch sochne ko majboor karti rachna...
ReplyDeleteachachhi likhi hui he! lekin focsed nahi he! shayad apka prayaas ek hi kavita me sabkuch kah daalne ka tha...lihaja pathak hone ke naate na to me senik ke prati santvana rakh payi or nahi uske uddand karnaamo ij Chhi chhi hi kar pai...berhaal carry on.
ReplyDeletekaivta to acchi likhi hai leking ek hi saath bahoot kuhc kahne ka prayas kiya hai, isiliye kahin kahin atpata bhi lg raha hai...
ReplyDeletekeep going.. tum aur bhi behtar likh sakte ho.
gyaanu dada...aapki kiraye ke makaan ko padh k bahut accha laga, bahut accha likha hai...dil ko choo gaya...
ReplyDeletewaise dada jammu ka wo kiraye ka makaan k jo yaade hai wo to kabhi nahi bhoolegi...kyu sahi kaha na...na belive ho to kunal aur gaurav se pooch lo...wo hal...w..i ka ghar...:)