Tuesday, November 16, 2010

बलि दिवस पर खास

इसे इत्तेफाक ही कहंेगे कि बकरीद और देवोत्थान साथ हैं। देवता जब आंख खोलेंगे तो असंख्य बकरे अपनी अंतिम सांस छोड़ेंगे, कुर्बान होंगे क्योंकि कुर्बानी...कुर्बानी...कुर्बानी...अल्लाह को प्यारी है कुर्बानी। अजब संयोग है इस बार चार पैर के बकरों के अलावा दो पैर के बकरे भी कटेंगे या हलाल होंगे, जो भी कह लें। ये दो पैर के बकरे कौन हैं साहब...अजी ये वो बकरे मतलब लड़के हैं जो सेहरा बांधेगे, घोड़ी चढें़गे और हंसते-हंसते कुर्बान होंगे। बकरीद में बकरे को सजाया जाता है। इन्हें भी सजाया जाएगा। बकरे को माला पहनाई जाती है, इन्हें भी पहनाई जाएगी। बकरे को खूब खिलाया जाता है, जनाब इन्हें भी खिलाया जाएगा। बकरे की कुर्बानी के समय लोग खुशी मनाते हैं, यहां भी धूम-धड़ाके से बारात निकाली जाएगी और खुशी मनाई जाएगी। बस फर्क इतना होगा कि बकरों को हमेशा के लिए सुला दिया जाएगा और इन्हें...... बताने की जरूरत नहीं। बेचारे बकरे तो हलाल हो जाएंगे। जन्नत की ओर रवाना हो जाएंगे, लेकिन दूल्हे शादी की सेज से नया जन्म पाएंगे। बकरे अपने-अपने कर्मों के हिसाब से नया जन्म पाते हैं, लेकिन यहां भी दूल्हे लाचार हो जाते हैं। बकरों को किसी भी योनि में जन्म मिले, वो बकरा तो नहीं बनेगा जबकि दूल्हा शादी के बाद चूहा बन जाता है जिस पर दुर्गाजी सवार रहती हैं। कुछ अपने को बाहर शेर भी कहते हैं मगर घर में बिल्ली बन जाते हैं वो भी भीगी। कुछ इस तरह शादी के बाद अलग-अलग योनियों में दूल्हा भटकता रहता है। बकरों को तो जन्नत नसीब भी हो जाती होगी मगर ये तो जन्नत के दरवाजे पर खड़े ही रह जाते हैं। खैर बकरा काटो चाहे दूल्हा। आज का जमाना खूब मजे लेने लगा है। बकरा काटोगे तो चाव से खाया जाएगा और दूल्हा काटोगे तो नाच-नाच कर खाया जाएगा। इन्ज्वाय दोनों में ही किया जाएगा। इसलिए बलि अब सस्ती हो गई है-
बकरीद मुबारक......

Wednesday, November 3, 2010

दीपावली विशेष:ःःः

मदारी-बंदर का खेल

डम... डम... डम... डम... डम... डम...

मदारी: जमूरे

जमूरा: हां, उस्ताद

मदारी: लोगों को हंसाएगा

जमूरा: हंसाएगा, उस्ताद

मदारी: मनोरंजन करेगा

जमूरा: करेगा, उस्ताद

मदारी: बता, धनतेरस के बाद कौन सा त्योहार आता है

जमूरा: दीपावली, उस्ताद

मदारी: दीपावली में क्या होता है

जमूरा: खुशी मनाते हैं, उस्ताद

मदारी: खुशी किसके साथ मनाते हैं

जमूरा: घरवालों के साथ, उस्ताद

डम... डम... डम... डम... डम...

मदारी: जमूरे, तो इस बार घर जाएगा

जमूरा: नहीं, उस्ताद

मदारी: क्यों, खुशी नहीं मनाएगा

जमूरा: नहीं, उस्ताद

मदारी: घर नहीं जाएगा

जमूरा: नहीं उस्ताद

मदारी: उदास है क्या

जमूरा: हां, उस्ताद

मदारी: क्यों जमूरे

जमूरा: छुट्टी नहीं मिली, उस्ताद

मदारी: छुट्टी क्यों नहीं मिली

जमूरा: सेटिंग नहीं थी, उस्ताद

मदारी: नौकरी करता था, सेटिंग क्यों नहीं बन पाई

जमूरा: काम करता था, उस्ताद

मदारी: काम तो सब करते थे

जमूरा: मैं अडवांस नहीं था, उस्ताद

मदारी: जमूरे...उदास है

जमूरा: हां, उस्ताद

मदारी: मेरे साथ दीवाली मनाएगा

जमूरा: नहीं, उस्ताद

मदारी: फिर क्या करेगा

जमूरा: अपने को कोसूंगा, उस्ताद

मदारी: क्यों कोसेगा

जमूरा: नौकरी, न करी, उस्ताद

मदारी: क्यों न करी

जमूरा: छुट्टी कैंसल हो गई, घर नहीं जा सकता,
अब आम आदमी अपना धार्मिक पर्व नहीं मना सकता

मदारी: तो क्या मानंे, अंग्रेजों का शासन आ गया

जमूरा: हां, उस्ताद

मदारी: फिर आजादी कैसी... सोच में पड़ गया मदारी

जमूरा: सोचो मत, उस्ताद

ये रोने का समय है, देखो, आम आदमी आज भी खुशियों से कितनी दूर है।



इस दीवाली न जाने कितने तनहाई में रहेंगे
दुनिया तो जगमग होगी, दिल में अंधेरे रहेंगे
होंगे दूर न जाने कितने परिवार से
तकिया लेकर सुबकेंगे तो कई टल्ली भी रहेंगे।।


दीपावली की सभी को शुभकामनाएं:ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः